Thursday, December 11, 2014

निथर खड़ा होला प्रशन?




रामू काका बोनू च
ज्योतिष बडू, विज्ञानं बौन च बल।
बखरी समणी छौनू सी च बल।।
अगर इन बात च काका त,
कैकी मुंडळी काटा
द्वी चार मन्त्र फूका
अर वीं मुंडळी फिर से जुड़ा।
जुडी जाली त ठीक च,
निथर फ़ोकट का मुद्दा
संसद मा नि धरा,
अर
जरा विकास की बात भी करा।।
भोळ फिर खड़ा होला प्रशन,
दुर्लभ होला तुमरा दर्शन।।
उन भी,
14 साल कु उत्तराखण्ड,
अर14 साल बटी...
बड़ा गुस्सा मा छन प्रशन?
बटों-बटों मा खड़ा छन प्रशन?
अर
खुज्याणा छन जबाब,
बडा लाचार छन प्रशन?
जबाबों से बड़ा दूर छन प्रशन?
आत्महत्या कनू मजबूर छन प्रशन?
प्रशन भी क्या छन,
द्वी चार,
कख च पाणी?
कख च बिजली?
कख च रोड?
कख च रोजगार?
अर कले छुटणा
पहाड़ का घार।
कैन देण जवाब
कुज्याणी।
अतुल गुसाईं (सर्वाधिकार सुरक्षित)12/12/2014

Tuesday, December 9, 2014

पलायन रोको पलायन रोको चिल्लाणा छा जो

पलायन रोको पलायन रोको चिल्लाणा छा जो।
ब्याळी दिल्ली मा देखिन,
 अपणी लैन्टरदार कूड़ी  सजाणा छा वो।।
 खादी पैहनी गाँधीवादी बण्यां छा जू,
  ब्याळी बखरोळ बोड़ा थै घपल्याणा छा वो।
 जय श्रीराम जय श्रीराम का नारा लगाणा छा जू 
 ब्याळी बांदरों पैथर कुकुर छुल्याणा छा वो।।
 ब्याळी तक जू आम आदमी बणीकै घुमणा छा
 आज एक थाळी का लाखों कमाणा छन वो।।
  ब्याळी तक त ऊका बीच गाळ घात हुई छै,      
एक दुसरा का जलडा खड्याण पर तुल्यां छा जु
 आज यू पी विहार मा रिस्तेदारी बणाणा छन वो.

अतुल गुसाईं (सर्वाधिकार सुरक्षित)10/12/2014


पापी पाक का कुकरों....


Friday, December 5, 2014

रौंत्याळु मुल्क च बल म्यारू भैजी...

रौंत्याळु मुल्क च बल म्यारू भैजी।
जख गाऊ मा पाणी कू धारू भैजी।
मुल्क मा देवतों कु सारु च भैजी।
खाणा कु माल्टा नारंगी आड़ू च भेजी।
बंजा की डाली मा घुघति की घुर घुर।
अयांर बुरांस की हवा सुर सुर।।
बुरांश फ्योंलि कू फूल खिल्द जख ।
ह्यूचुला आकाश मा मिलदा जख ।
ऊ म्यारू देव भूमि च भैजी।।
धार, गाड, गदना, जख पुंगड़ा प्यारा,
मिली जुली लगान्दन दीदी भुली स्यारा।
कथगा प्यार कथगा न्यारा............
देव भूमि का म्यारा देवभूमि का म्यारा।।

लैन फर लगी जा बल.....


पहाड़े बरात........


Wednesday, November 26, 2014

जय बुन्खाले काली माँ

जय बुन्खाले काली माँ
 दया कु भण्डार, दाता माँ,
 जू भी आन्द द्वार त्यारा,
 कभी नि जांन्दू खाली माँ।।
 जय बुन्खाले काली माँ।।
 परदेसों जयां तेरा ग्वाल बाल,
 पूजा कू आणा होला घार।
 ऋद्धि-सिद्धि सबौं देई माँ,
 बोगठ्या भैसा बागी बली ना
 देणा छा प्यार.....
 प्यार मा खुस रई माँ।।
 जय बुन्खाले काली माँ।।
 चडौला त्वे मा श्रीफल
 अर फूलों कु हार माँ,
 चूड़ी बेन्दुली लाल चुन्नीन
 करुला तेरु सोला श्रृंगार माँ।
  जय बुन्खाले काली माँ।
  तेरा खप्परों मा चडोला,
  फूल, धूप ज्यूँदाळ  माँ 
  तेरु धुप्यणूं द्योला
  कड़ू तेल लाल अंगार माँ।
  जय बुन्खाले काली माँ।।
  गाजा बाजा भंकोरों संग
 लगोला तेरु मण्डाण माँ,
 छुटी मोटी ग़लती भगतों से होला त
 भक्तों से नि रूसाण माँ।।
 जय बुन्खाले काल
अतुल गुसाईं (सर्वाधिकार सुरक्षित)27/11/2014

Sunday, November 23, 2014

पधान बोड़ा दगड द्वी चार छुईं गप्पी हौळ बुते का टैम फर.....

औ...बैठ हुक्का पे जा रे पदान बोड़ा,
भोळ बटी बुते भी च रे पदान बोड़ा।।
हौळ तैल सारी च, बिजनू ले के पौछी जै रे
पदान बोड़ा।
म्वाळा म्यार काकर धरियां छन,
निसडू छपला ढापिर पुड्यां छन रे
पदान बोड़ा।
मेरी ब्वे मैता जई परसी बटी,
कल्यारा खुण बमणी बौ कु
बोली दे रे पदान बोड़ा।
तै बसुळा भी पळै दे
छपला ख्वींडा हुयां छन रे
पदान बोड़ा।
बल्द भी त्यार मरगुल्या छन,
द्वी चार सिटगी भी खुजे दे रे
पदान बोड़ा।
हूणू त कुछ नी च पुंगडा डोखरु मा,
बांदर चपत कैई जाणां छन,
पर
बांजा भी कन क्वे छुणिन रे
पदान बोड़ा।
अतुल गुसाईं (सर्वाधिकार सुरक्षित)

Thursday, November 13, 2014

बाल दिवस की शुभकामनाये...

 छुटा नौना कथगा प्यारा
गौऊ का त्यारा गौऊ का म्यारा।
छुटा नौना........................
जात पात न धर्म का गारा।
बैठिया रैंदिन एक ही गुठ्यारा।।
छुटा नौना गौऊ का त्यारा।
छुटा नौना गौऊ का म्यारा।।
देश कु भविष्य,
भविष्य का उज्याळा।
भारत माँ का छन दुलारा।
छुटा नौना गौऊ का त्यारा
छुटा नौना गौऊ का म्यारा।।
चाचा नेहरु तै छा प्यारा
मेरु भी एक ही च नारा,
लिंग जाँच नि कारा,
पेटा मा ही यूँ नि मारा,
भोळा कु भारत यूँका ही सहारा।
बाल दिवस की शुभकामनावों सहित..
कथगा प्यारा, कथगा प्यारा,
छुटा नौना गौऊ का त्यारा।
छुटा नौना गौऊ का म्यारा।।
अतुल गुसाईं (सर्वाधिकार सुरक्षित)


Thursday, November 6, 2014

राहू रैन्द राठ मेरा माट मा.......


बेरोजगार मुसो सी ....

कविता पढने से पहले इस छोटे से लेख को जरुर पढ़े। बेरोजगार मुसो सी ....मूसो गढ़वाली में चुहे के लिए बोलते है। 
एक दिन की बात है मैं सो रखा था एक चूहा बहुत देर से परेशान कर रहा था ,उस से तंग आ के मैं उसे मारने के लिए मैंने चूहादानी (पिंजरा) लगा दी और बेचारा फंस गया। लेकिन जब मैं उसे मारने वाला था तो उसे देख के मुझे लगा इसे क्या फायदा ये भी तो अपना पेट भरने के लिए मेरी तरहा भटक रहा है ...प्रस्तुत रचना इसी पे आधारित है.....

मी झूट कम सच ज्यादा लेखदू..

प्रस्तुत रचना आज की पीड़ी पे एक ब्यंग है।
मी झूट कम सच ज्यादा लेखदू।
बासी रोटी मि आग मा सेखदु।।
बिगड़ी गिन रे तुमरा नौना नौनी।
जौंका नाम छन कुकर सी जौनी टौनी

बीजे कखडी........

बीजे कखडी, मेरी इस रचना में सिर्फ गालियाँ है जो मैंने हम सब ने बचपन में गाऊ के चाची बोड़ी दादी इत्यादि के मुह से खाई थी।शायद ही कोई ऐसा होगा जिसने चोरी की कखडी न खाई हो,प्रस्तुत रचना चोरी की कखडी खाने के बाद जो गलिया मिलती है उसी पे आधारित है। किसी भाई बहन को अगर ये रचना बुरी लगे तो माफ़ी चाहता हूँ।


आज मिन आखरी पैक लगे


Sunday, October 19, 2014

सब्बी भाई बैणियों तै यगास अर बगवाळ की शुभकामनाये।

सब्बी भाई बैणियों तै यगास अर बगवाळ की शुभकामनाये। दिया जलाण ओळी दीदी भुलियों तै मेरी शुभकामना। खोळा खोळू मा भूडा पकोड़ा बंटदरों तै, मेरी शुभकामना। गौड़ी बाछियों कु पीना बोटदरों तै, मेरी शुभकामना। पीना मा कू फूल खोज्यान्दरा छोरों तै, मेरी शुभकामना। बाछी कू माळा गछ्याण ओळी भुल्ली कु, मेरी शुभकामना। भैला बाणाण ओळा बोड़ा तै, मेरी शुभकामना। गैड बोटदरों अर घसरियों तै, मेरी शुभकामना। पंचेत चौक मा मंडाण लगाण ओळ दासों तै, मेरी शुभकामना। कखी अन्धेरू नि हो, घर घरों मा जगदू दिया हो, या मेरी दिल से च मनोकामना।।

Sunday, October 5, 2014

पांच पंच उत्तराखंड का..

उत्तराखण्ड का पांच पंचू मा
पैलू पंच पौडी बटी,
बडू ईमानदार च बल।
नेपालियों कू मायादार च बल।।
दुसरों पंच हरीद्वार बटी,
पौंछियों गळिदार च बल।
सफलता का अचूकमन्त्र छन येमा,
पटियाला सूटा कु बोल्दू,
यू चुडी दार सुलार च बल।।
तिसरी पंच टेहरी बटी...
लक्ष्मी अवतार च बल।
दया दान कुछ नि करदी,
भीतर पैसों कु भण्डार च बल।।
चौथू पंच अल्मोड़ा बटी...
बड़ो भारी ठेकदार च बल,
उत्तराखंड मा कबि कभार आन्दु
उत्तराखंड वेकू ससुराल च बल।
पांचो पंच क्य बोन......
जैका काम खोजी खोजी
आज तक नि मिलिनी
ऊ भगत दा च बल।।
अतुल गुसाईं(सर्वाधिकार सुरक्षित)


Friday, October 3, 2014

मोदी जी कु भारत सफाई अभियान

आम आदमी कू झाडू छीनी।
कांग्रेस कु गांधी रे।।
भारत कु ध्यान छीनी।
चलण वटी गे मोदी जी कू,
सफाई अभियान रे।।
सिर्फ नौ आदिम न,
पूरा मुल्क लगावा जान रे,
सफल होलू तब, मोदी जी कू,
सफाई अभियान रे।।
नौ आदिम तुम भी जोड़ा
नौ हम भी जोड़ाला,
कसम खावा गन्दगी
कखी नि फ़ैलौला।।
गौऊ ग्वीना साफ होला
नंगी खुट्टी कखी भी जौला,
साफ रौला स्वस्थ रौला।
सुबेर होली सबों कु भोला।
बस निवेदन च
ये गरीब गुसाईं कू ..
इन नि बुल्यां सफाई कनू कू
मी कु नि बोला।।
अतुल गुसाईं जाखी(सर्वाधिकार सुरक्षीत)


Wednesday, July 23, 2014

प्रधनी बौ द्वी मैना...

प्रधनी बौ द्वी मैना मा माला माल ह्वे गे, सोना इथगा सस्तू भी नि ह्वे... नाका की फुल्ली ज्वान, बुलाक ह्वे गे।। ब्याली तक दिन कटेणा छा सीला वोबरी। माटा कुड़ी आज लैन्टरदार ह्वे गे। ब्याली तक गलणों फर छाया पुणीं छै, आज बौ लाल चचग्वार ह्वे गे। परसी ई बात फर गाऊ मा बबाल ह्वे गे। ये अतुलल जरसी क्य बोली कि मेरु कपाळ लाल ह्वे गे। सर्वाधिकार सुरक्षित(अतुल गुसाईं)

Friday, July 4, 2014

गाळी खाणा दिल कनू।

मेरा गौंऊ मा एक चौरी चौरी मा पिपळा डाळी आज बैठी की पिपळा डाळी तैळ हवा खाणो दिल कनु। क्वी भुल्ला नवोळा जांदू, ठण्डू पाणी ले की आन्दू, आज नवोळा पाणी पीणा कु दिल कनु। तैल सार बटी हल्या बोडा आन्दू, चौरी मा थौ विसान्दु, आज हळय बोड़ा दगड बीड़ी फुकणा कु दिल कनु। कखी बटी सुबदनी बोड़ी आंदी द्वी चार भल्ली द्वि चार खोटी सुणादी, आज सुबदनी बोड़ी का गिच्चा की गाळी खाणा दिल कनू।।


Tuesday, July 1, 2014

औऊ... तेरा हाथों मा मेहंदी


औऊ... तेरा हाथों मा मेहंदी लगे द्यों।
कभी न छुटो जु रंग इन माया कु रंग लगे द्यों।
तु बोलदी कि मी मायादार नि छौ
आज तेरा हाथों का हर रेखा मा,
अपणु माया कु रंग जमे द्यों।।

लिपी द्यों त्वे तै माया का रंग मा,

टीपी द्यों त्वे तै अपणा अंग अंग मा।

देख आज मेरु मेहंदी कु माया कु रंग।
सात जुगूं तक रालू, तेरु मेरु संग।।
अतुल गुसाई




Thursday, June 19, 2014

हे भुल्ला तु घौर जाणी छै त

हे भुल्ला तु घौर जाणी छै त,
हे भुल्ला तु गढ़वाल जाणी छै त,
द्वी मेली चाणों की एक मिठे कु डब्बा
मेरा घौर भी पौंछे दे।
मिली जाली मेरी ब्वे त्वे रस्ता मा
छुणख्याळी दथुड़ी होली हाथो मा
मुंड मा मुन्यसु अर
कुछ्ली गात होली।
जाणी होली सारी घासु बटी
ज्वा ब्याखुनी धौं
सबसी रात होली ।
हाँ भुला वा मेरी माँ होली
पछ्याण जाण तिन
पौछे दे मेरु मीठे कु डब्बा
अर द्वी बीज चाणों का।
पुछली त बोली दे
राजी खुसी च
अगला मैना घार आलू।।
त्वे खुण धोती अर
बाबा कु फंची ल्यालु।।
अतुल गुसाईं (जाखी)


(सर्वाधिकार सुरक्

Tuesday, June 3, 2014

सरग दीदा पाणी न पाणी ना।





चला राजधानी गैरसैण ल्योला।

शहीदों की भावनावों तै
ठेस नि पहुँचावा।
उत्तराखंड की राजधानी
गैरिसैण दे द्यावा।।

शहीदों का सुपन्यों तै
साकार कौरी द्यावा
ऊकी राजधानी गैरसैण
ऊं तै दे द्यावा।।

कुछ इन सुपिन्यां छा ऊंका
जीति जब हम घौर जौला
उत्तराखंड की राजधानी
गैरसैण बणोला।।

पर सुपन्यों की बात
सुपन्यों मा रैइ गिन
जौन सुपन्यां देखी छा
ऊ ता बिचरा स्ये गिन।।

कुछ स्येन मसूरी कांड मा



कुछ स्येन खटीमा कांड मा
जु आंदोलनकारी बच्यां छा
ऊ कु अंधेरु ह्वे
मुजफ्फर नगर मा।।

ऊकी कसम आज हम तै
आण चैणी लाज हम तै।
ऊंका सुपन्यां साकार करुला
चला राजधानी गैरसैण ल्योला।

एक बार फिर आज
गढ़वाल,कुमाऊ कट्ठा होला,
उत्तराखंड की राजधानी
गैरसैण ल्योला।

शहीदों की मान
अब हमुन बचाण
उत्तराखंड की राजधानी
गैरसैण बणाण।
©®अतुल गुसाईं(सर्वाधिकार सुरक्षित)



Monday, May 26, 2014

याद आणा छन बचपन का दिन

याद आणा छन बचपन का दिन।
आज याद आणा छन बचपन का दिन।।
बचपन का दागड्या,दगड्यों का झागडा,
झगडूं का ऊ दिन...
आज याद आणा छन बचपन का दिन।।

दिन दोफरा मा खेलणू कु जाण
ब्याखुनी कु बासी खाणु,
कांच की गोळी, माचिस का पत्ता
गुडिया कु खेल
ढुन्गा की गाड़ी, डब्बा की रेल,
कख गिन ऊ दिन
आज याद आणा छन
बचपन का दिन।।
बरसात मा नंगी नयाणा
फिर माँ की मार खाण,
ऊ माँ कु बुथाण,
नि बिसरी सकदु मी
बचपन का दिन कन क्वे भुलाण।
ऊ दादी की कथा,कथों मा डौर
डौरी कु माँ का कुछिली मा सेण,
नि बिसरी सकदु मी
बचपन का दिन कन क्वे भूलोंण।
दिन मा दादा कु समझाण
राती कखडी चुना कु जाण,
बाबा कु पढाण, ऊ झूटी नींद आण,
दीदी की गाळी, पर फिर समझाण,
याद आणा छन कन क्वे भुलाण।
याद आणी च कथा ओली माई
कख हरची होलू
बचपन कु अतुल गुसाईं।
(सर्वाधिकार सुरक्षित)
अतुल गुसाईं(जाखी)


Wednesday, May 21, 2014

टेहरी का वैरी

धुनारों कु गौऊ छौ टीरी
धुनारों कु बसयूं छौ टीरी,
घी दूधकी खान अर

स्वर्ग समान छै टीरी।

सबी येका बैरी रैनी।
टीरी तै मिटे की गैनी।।

पैली दुशमन धरती रै,
1803 मा पूरी टीरी हिले दे,
इन भून्चन आई.........
कि मीलों दूर सालों तक
ह्यूंचल डौरी कू कंपणू रै।

गौऊ का गौऊ बांजा ह्वीन
रुणा कू क्वी नि रैन।
खाप ताणी धरती हंसणी रै
धुनारों कु क्वी नि रैइ।।

या धरती की पहली मार छै,
स्वर्ग जन टीरी पर सबौ कि खार छै।
एक बार फिर टिरी पनपी की आई,
सुदर्शन शाहन टीरी राजधानी बाणाई।।

दूसरी मार गोरखो की रै...
टीरी फर आक्रमण कै
एक एक करी सभी मरेनी,
गोरखा अगने बीढदी गैनि।

गढ़वाल गोरखो कु गुलाम ह्वे
गोरखोन अपणी मनमानी कै,
प्रघ्घुम्न शाह न तब आवाज उठे,
गोरखोंन ऊकी आवाज मिटे।।

प्रघ्घुम्न शाह देरादूण मा मारे गैन।
सुदर्शन शाह न तब अंग्रेजों दगण
मिलीके गोरखा भगेन।

1814 और नालापाणी कि छै बात
गोरखों कु आई काळी रात,
सुदर्शन शाहन चक्रव्यू रचाई,
गढ़वाल वटी गोरखा भगाई।।

तीसरी मार राजवो की छै,
पूरी टीरी लूटी की खैई,
श्री देवसुमन जी न राजशाही कू विरोध कै
पर जान का सिवा हाथ कुछ नि आई।

आखरी मार पाणी की रै,
जैन पूरी टीरी डुबे दे।
टीरी त डुबी,
दगड मा इतिहास भी गै,
टीरी डुबाण ओळो तै
जरा भी दया नि ऐ।।

टीरी हमेशा कष्टों मा रै,
देवता पुकारी क्वी नि ऐ।
सबी लोगों अपणी जान लगे,
आखिर मा पाणिन
टीरी डुबे के अपणी तीस बुझे।
अतुल जाखी(सर्वाधिकार सुरक्षित)


Monday, May 12, 2014

खूब च रे..........

नर मंगणू कुकड़ी
रिस्वत मा, देवतों चैणी बखरी,
बिन रिस्वत कु डौर नि बजदु,
दारू मंगदु जागरी। खूब च रे.......... देसी बिकदी घर घरों मा, कच्ची बणेणी छनी, रिस्वत देकी अमीरों कु नौकरी, गरीब रैगी तनी।। खूब च रे.......... हाथ जोड़ी ठगे गिन, अब विधानसभा मा छन वो, बिजली पाणी रोड़ चबे गिन, अब डंकार लेणा छन वो। खूब च रे.......... प्रधान जी कमीशन खान्द मुन्सी सीमेंट बिकान्द, मजदूरों कु मजदूरी नी, ध्याडी ठेकेदार उड़ान्द। खूब च रे.......... सरकरी दवे डाक्टर खान्द, गरीबों फर सुई चुभान्द, मास्टर कभी स्कूल नि जांद, डिग्री पैसों मा आन्द। खूब च रे.......... कन्डोम गोळी ब्यो सी पैली, बाद मा क्वी नि खान्द, जनसँख्या वृधी रुकि जौ जु, क्वी नेता नि चान्द।। अतुल जाखी(सर्वाधिकार सुरक्षित)


Friday, May 2, 2014

मेरी जिंदगी त

जाकिर हुसैन जन तबला वादक
बिस्मिल्लाह खान जन शहनाई वादक
मी भी बणी सक्दू छौ पर......
मेरी जिंदगी त
जौ की फुन्फरी अर
तेलका कनस्तर बजाण मा कटे।
धोनी अर सचिन जन
मी भी खेली सकदु छौ पर
मेरी जिंदगी त .........
वे पुरण जुलाब का बौल सिलण मा कटे।
एबरेस्ट पर चढण क्वी बडी बात नी
पर मेरी जिंदगी त........
काचा लखणू कु
बाणों अर डाळौ मा कटे।
कई मैडल दौड़ मा,
मी भी जीती सकदु छौ
पर मेरी जिंदगी त...
सारियों का बान्दर भगाण मा कटे।
शेक्सपियर जन कविता सोनेट
मी भी लेखी सकदु छौ पर,
मेरी जिंदगी त......
निगोळ की कलम अर
पाटी पर लिखणा कु
कमेणा खुज्याण मा कटे।
लेखणा कु उन त बहुत कुछ च,
पर मेरी जिंदगी त.....
सुचण मा कटे।
©अतुल जाखी(सर्वाधिकार सुरक्षीत)

Wednesday, April 30, 2014

हाई हेलो फेसबुक मा मिल्दिन सब।।



न पदनौ चौक मा
न पन्चैत चौक मा।
न पदान बोड़ा धोरा,
न कैका घौरा।
न ब्यो न गत मा
न स्कूल का छत मा।
न चक्की न घट मा
न कखी ग्वेर बट मा।
न खरक न गोठ मा
न देवतों कटदा रोट मा।
न बूण न जंगळौ मा,
न कभी हौळा दन्दोळौ मा।
न पंदेरा न नगोळौ मा,
न कखडी चुना कु ठंगुरु मा।
मेरा गाऊ मा क्वी नि दिख्यांद अब,
हाई हेलो फेसबुक मा मिल्दिन सब।।
©अतुल जाखी ( सर्वाधिकार सुरक्षित )

Tuesday, April 29, 2014

Paanch Kavita








देवता नचै डौंर थाळी।

देवता नचै डौंर थाळी। मेरा मैता की झाली माली ।। गश भी गाडी मिन ब्याली। जेब हुयीं खाली खाली।। छौळ पूजी,अन्खार खाडू दियाली। सुख चैन और भी खोयाली।। समझ मा आई गै भुला अब। बक्या, बमाण जगरी सब जाळी।। अंधविश्वास मा नचणू उत्तराखंड । ख़त्म ह्वे गे पेंसल, जिन्दगी कु फंड। copy, paste वाले सावधान,।

खूब चले तुमन सरकार बहुगुणा जी।

खूब चले तुमन सरकार बहुगुणा जी।
आपदा खाई की नमस्कार बहुगुणा जी।

लोग मुना रैन, लुक्यां रैन उड्यार बहुगुणा जी।
सिर्फ अपणा भुरिन तुमन घार बहुगुणा जी।।

हमकू भिजिनी तुमन फटियां सुलार बहुगुणा जी।
अर अपणा गौलाउन्द रुप्यों कु हार बहुगुणा जी।

भुखी मुनि रैई जनता बद्रिनाथ, केदारनाथ।
तुम लेणा रै देहरादूण मा डंकार बहुगुणा जी।

पाणी मा देखी हमुन खून की नयार बहुगुणा जी।
अर तख चलणी रै बल शराब बहुगुणा जी।

करी घोटाल इस्थीपा देणा खूब च रिवाज बहुगुणा जी।
पर क्यकन वक्त तुमरो ही च आज बहुगुणा जी।

नेगी जी का गीत कुराण छन भुला।

नेगी जी का गीत कुराण छन भुला। ये गढ़भूमी पहाड़ मा पुराण छन भुला।। नेगी जी का गीत रुवांद छन भुला। देश बटी देवभूमि मा बुलांद छन भुला।। नेगी जी का गीत हमरी संस्कृती बचांद छन भुला नेगी जी का गीत भ्रष्ट नेतावों हिलांद छन भुला। नेगी जी का गीत पहाड़े रिवाज-रीत छन भुला नेगीजी का गीत तेरा भी मेरा भी मीत छन भुला। नि ह्वे सकद क्वी गढ़रत्न नेगी जी जन। ह्वे भी जालू त ऊ नेगी जी का छींट छन भुला। ( सर्वाधिकार सुरक्षित )

होली त आई गे पर

होली त आई गे पर हुल्यार हरची गिन, गीत होली का अर ढोलकीदार हरची गिन। झण्डा पकडी अगने अगने मी भी गई छौ कभी, ऊ लाल रंग कु टिका अर ऊ टिकादार हरची गिन। ऊ चौंळू कु झोला मिल भी बोकी छौ कभी वा राती की भूख़ अर ऊ खीचडी का यार हरची गिन।। कख हरची होलू बचपन कु अतुल गुसाई अर कख हरची होली 10 पैसा देण वोली माई।।

मुरण से पैली कैन एक च्या गिलास तक नि पूछी।

मुरण से पैली कैन एक च्या गिलास तक नि पूछी। मुरणा का बाद चाई पत्ती, चिन्नी ले के आणा छन लोग।। मुरण सी पैली द्वी गफ्फा अन्ना का प्यार से नि मिलिन। मुरणा का बाद मेरा बांटे चुंची डांग मा धना छन लोग। मुरण सी पैली कैन कभी हल्दी ज्यूँदाल नि लगे माथा मुरणा का बाद खान्द फर पित्र पिठै लगाणा छन लोग। मुरण से पैली क्वी मेरा हाल पुछण तक नि आई कभी मुरणा का बाद बुले बुले की मी थै भूत नचाणा छन लोग। मुरण सी पैली ये अतुल जाखिल कैकु बलु बुरु नि बोली। मुरणा का बाद पित्र दोष लग्यू बल, छुई लगाणा छन लोग।। जब बच्यू छौ, ज्यून्दू छौ सबोन नफरत ही कौरी। मुरणा का बाद फेसबुक फर भी like कना छन लोग। ©अतुल जाखी ( सर्वाधिकार सुरक्षित )