Thursday, June 19, 2014

हे भुल्ला तु घौर जाणी छै त

हे भुल्ला तु घौर जाणी छै त,
हे भुल्ला तु गढ़वाल जाणी छै त,
द्वी मेली चाणों की एक मिठे कु डब्बा
मेरा घौर भी पौंछे दे।
मिली जाली मेरी ब्वे त्वे रस्ता मा
छुणख्याळी दथुड़ी होली हाथो मा
मुंड मा मुन्यसु अर
कुछ्ली गात होली।
जाणी होली सारी घासु बटी
ज्वा ब्याखुनी धौं
सबसी रात होली ।
हाँ भुला वा मेरी माँ होली
पछ्याण जाण तिन
पौछे दे मेरु मीठे कु डब्बा
अर द्वी बीज चाणों का।
पुछली त बोली दे
राजी खुसी च
अगला मैना घार आलू।।
त्वे खुण धोती अर
बाबा कु फंची ल्यालु।।
अतुल गुसाईं (जाखी)


(सर्वाधिकार सुरक्

Tuesday, June 3, 2014

सरग दीदा पाणी न पाणी ना।





चला राजधानी गैरसैण ल्योला।

शहीदों की भावनावों तै
ठेस नि पहुँचावा।
उत्तराखंड की राजधानी
गैरिसैण दे द्यावा।।

शहीदों का सुपन्यों तै
साकार कौरी द्यावा
ऊकी राजधानी गैरसैण
ऊं तै दे द्यावा।।

कुछ इन सुपिन्यां छा ऊंका
जीति जब हम घौर जौला
उत्तराखंड की राजधानी
गैरसैण बणोला।।

पर सुपन्यों की बात
सुपन्यों मा रैइ गिन
जौन सुपन्यां देखी छा
ऊ ता बिचरा स्ये गिन।।

कुछ स्येन मसूरी कांड मा



कुछ स्येन खटीमा कांड मा
जु आंदोलनकारी बच्यां छा
ऊ कु अंधेरु ह्वे
मुजफ्फर नगर मा।।

ऊकी कसम आज हम तै
आण चैणी लाज हम तै।
ऊंका सुपन्यां साकार करुला
चला राजधानी गैरसैण ल्योला।

एक बार फिर आज
गढ़वाल,कुमाऊ कट्ठा होला,
उत्तराखंड की राजधानी
गैरसैण ल्योला।

शहीदों की मान
अब हमुन बचाण
उत्तराखंड की राजधानी
गैरसैण बणाण।
©®अतुल गुसाईं(सर्वाधिकार सुरक्षित)