Wednesday, July 23, 2014
Friday, July 4, 2014
गाळी खाणा दिल कनू।
मेरा गौंऊ मा एक चौरी
चौरी मा पिपळा डाळी
आज बैठी की पिपळा डाळी तैळ
हवा खाणो दिल कनु।
क्वी भुल्ला नवोळा जांदू,
ठण्डू पाणी ले की आन्दू,
आज नवोळा पाणी
पीणा कु दिल कनु।
तैल सार बटी
हल्या बोडा आन्दू,
चौरी मा थौ विसान्दु,
आज हळय बोड़ा दगड
बीड़ी फुकणा कु दिल कनु।
कखी बटी सुबदनी बोड़ी आंदी
द्वी चार भल्ली द्वि चार खोटी सुणादी,
आज सुबदनी बोड़ी का गिच्चा की
गाळी खाणा दिल कनू।।
Tuesday, July 1, 2014
औऊ... तेरा हाथों मा मेहंदी
औऊ... तेरा हाथों मा मेहंदी लगे द्यों।
कभी न छुटो जु रंग इन माया कु रंग लगे द्यों।
तु बोलदी कि मी मायादार नि छौ
आज तेरा हाथों का हर रेखा मा,
अपणु माया कु रंग जमे द्यों।।
लिपी द्यों त्वे तै माया का रंग मा,
टीपी द्यों त्वे तै अपणा अंग अंग मा।
देख आज मेरु मेहंदी कु माया कु रंग।
सात जुगूं तक रालू, तेरु मेरु संग।।
अतुल गुसाई
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