Sunday, December 25, 2016

मनखी अब....

बणो मा
राम राज्य ए गे
मंसबाग अब
मनखी बणी गे।
शहर अब
जंगळ ह्वे गे
मनखी अब
बाग बणी गे।
एक जमनो छौ
जब बणों मा
यखुली जाण
डैर लगदी छै,
न हो कखी
बाग मिली जौ,
सारू मिल्दु छौ
दूर कखी जब
मनखी दिखेंदु छौ ।
आज अगर सुनसान बटों मा
मनखी दिखे गे त
डौरी जांदू मी।
अतुल गुसाईं जाखी (सर्वाधिकार सुरक्षित)

Monday, December 19, 2016

आरक्षण से मिलण ओळ फ़ायदा...

राठ क्षेत्र थै ओबीसी कु दर्जा देणा का वास्ता माननीय विधायक गणेश गोदियाल जी और मुख्यमंत्री आदरणीय रावत जी कु धन्यवाद ..सब खुस छन जाहिर सी बात च कि मी भी खुस होलू , उन मी आरक्षण कु विरोधी छौ मी नि चांदु की हम सब उत्तराखंडी जाती और क्षेत्र का नौ फर एक ही सगोड़ मा अलग अलग बुतेणा रौ खैर जब मिलणु च त फैदा त उठाण ही च, कलै की मि बेरोजगार छौ । और बेरोज़गार आदिमा थै क्वी फर्क नि पोड़दु आरक्षण से विकास होलु कि विनास वे थै क्वी मतलब नी च ई बात से । हाँ एक कवी का रूप मा मी दुखी जरूर छौ कलै कि कवी जरा लंबी सोचदु । अर मथि वटी मी आरक्षण कु विरोधी भी छौ म्यार हिसाब सी आरक्षणन विकास न बल्कि विनास होंद , कन क्वे होंद एक छोटी सी कविता लेखी की शायद कुछ लोगों का समझ मा ऐ जौ।
या द्वी लाइन की कविता सिर्फ आरक्षण से मिलण ओळ फ़ायदा फर एक ब्यंग च आप लोगों से निवेदन च कि राजनितिक comment नि करियां ।
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ब्याळी रात
जब मिन सूणी
कि हम सब राठी पिछणा ह्वे ग्यों
अर अब हम थै आरक्षण मिललु।
भैजी !
मि त ख़्वाबों मा चली गौं।
अर कसम से सुपनयों मा
यु बेरोज़गार गढवली कवी
आरक्षण का दम फर
अंग्रेजी कु मास्टर बणी गे।
अर एकी पैली पोस्टिंग भी
अपणा ही क्षेत्र म च।
यू गढ़वाली कवी जैकी दिल्ली मा
अपणी ही ज़िन्दगी बेकार छै
ऊ मास्टर बणियूँ च
और नौनु थै आजक्याळ
A फ़ॉर आम
C फ़ॉर कैट,
कैट मने कुकर
पढ़ाणु च ।
वेका बाद कुछ लोगों थै खबर ह्वे जांद
कि गुरुजी त निकम्मा च ।
गुरुजी की खबर लेण चैन्द।
अर ये क्षेत्र बटी ये भगाण चैद।
द्वी चार लोग स्चूल मा आंदिन
गुरूजी थै सुणादिन ।
कि गुरु जी तुम ठीक नि पढ़णा छा
हमारा नौनू कू भविष्य डूबाणा छा
A फॉर आम
B फॉर बखरो
C फॉर कैट
कैट मने कुकर बताणा छां ।
मिन बोली अजी हाँ !
वे दिन आरक्षण की खुसी मा
तुमी लोग त ढ़ोल दमोळु
बजाणा छां ।
मिन बोली मी था आरक्षण छौ
वे दिन तुम मी थै ही त बुलाणा छां ।
जु योग्य छौ ऊ कपाळ पकड़ी
जग्वाळ लग्युं च।
अर आरक्षण का बल फर क्वी
मास्टर अर क्वी डॉ हयूँ च।
बल इन होंद आरक्षण
मिन बोली ना -
मिन बोली ना मि त सिर्फ मास्टर छौ
द्वी चार आखर ही गलत पढ़ाणु छौं,
जरा तै डॉक्टर तै दिखा
जु बुखार तै हैजा बताणू च
अर उल्टी सुल्टी दवे दे की
लोगों थै ठगाणू च।
ऊ इन दवे देणू च जैन 10 साल और जीण छौं
उ एक ही साल मा ठण्डु ह्वे जाणु च।
बल इन होंद आरक्षण मीन बोली न ।
मिन बोली ना यु त डॉक्टर ही च
द्वी चार लोगों थै ही न मनू च ।
आरक्षण की त बौत लम्बी चौड़ी कथा च
आज अगर सब कुछ लेख्याली त बबाल ह्वे जाण।
अपणा ही भै-बंधो दगड़ घ्याळ ह्वे जाण।
अतुल गुसाईं जाखी (सर्वाधिकार सुरक्षित)

Thursday, November 3, 2016

भूली-बिसरी ..

https://www.youtube.com/watch?v=6Qyzx2E6IvI&feature=share
भूली-बिसरी बाटू बिरडी कभी मी थै देखी जै तू।
त्यारा ही दियाँ जु घौ छन दगड्या ऊ सेकी जै तू।।

कन क्वे बताण त्वे मा, कि कन छन हाल मेरा ।
ल्वींठो माटु ले कि ऐ अर मेरा दुःखों लीपि जै तु।।
आँखी हुयां लाल तेरी खुद का भोर लाटी।
वक़्त मिललु कभी त, अपणी खुद टीपि जै तू।।
दोष लग्यां छन तेरी बाडुळि म्यार गौळ मा।
टक्क लगैकी ऐ ,अर यूँ बाडुळि पूजी जै तू।।
दिन कम ही छन ई ज्वानि का गैल्या रे...
दिन मिललु कभी त, मुखजथरु देखी जै तू।।
अतुल गुसाईं जाखी (सर्वाधिकार सुरक्षित)

Sunday, October 23, 2016

आदरणीय भीष्म कुकरेती जी का दगड़ लिखाभेंट..


प्रणाम भीष्म कुकरेती जी,
जन्म दिवस -२ मार्च सन १९८६
गाँव- जाख,  पट्टी- कण्डारस्यूं , जिला- पौडी गढवाल उत्तराखंड,
पढाई –स्नातक,
वर्तमान- E-80  south anarkali street no .6 near jagat puri delhi 110051
फोन-8802374427
 साहित्यक ब्यौरा आपक साहित्य पर समीक्षकों कि राय भीष्म कुकरेती : आप कविता क्षेत्र मा किलै ऐन ?
अतुल गुसाईँ- एक पीड़ छाई जिकुडी मा अपणा भाषा कु आपणी संस्कृति कु अर दगड मा खुद छै जैन लिखणा कु मज़बूर कौरी , उन त मी थै कविता लिखणा शौक नि छौ, कविता लिखणा शौक द्वी चार साल बटीन च, बचपन से म्यारु शौक चित्रकारी मा रै स्नातक भी मिन चित्रकारी से ही करी पर जब नौकरी का बाना दिल्ली आयूँ त ई भागदौड की ज़िंदगी मा कभी चित्रकारी करणा कु मौका नि मिली अर जौ खैरी-विपदा, हैंसी खुसी पर रंग लपोडणा कु दिल करदु छौ ऊं थै मिन फिर कविता कु रुप दे दीनी .
 भीष्म कुकरेती : आपकी कविता पर कौं कौं कवियुं प्रभाव च ?
अतुल गुसाईँ-  हरीश जुयाल कुटुज अर शेर दा अनपढ़ जी .
भीष्म कुकरेती: आपका लेखन मा भौतिक वातावरण याने लिखनो टेबल, खुर्सी, पेन, इकुलास, आदि को कथगा महत्व च ?
अतुल गुसाईँ- टेबल, खुर्सी कु त ज्यादा महत्व नी च सिर्फ पेन और डायरी दगड मा रैण जरुरी च, कविता का भाव त पैदल चलदा रस्ता मा भी ऐ जांदिन, हां इकुलास कु काफी महत्व च कलै कि इकुलास मा ज्यदा सोचदु आदिम .
भीष्म कुकरेती:. आप पेन से लिख्दान या पेन्सिल से या कम्पुटर मा ? कन टाइप का कागज़ आप तैं सूट करदन मतबल कनु कागज आप तैं कविता लिखण मा माफिक आन्दन?
अतुल गुसाईँ-  मि अधिकतर पेन और डायरी कु हि प्रयोग करदु वेका बाद कभी-कभार कम्पुटर मा भी टाइप कैरी देंदु.

भीष्म कुकरेती:. जब आप अपण डेस्क या टेबले से दूर रौंदा अर क्वी विषय दिमाग मा ऐ जाओ त क्या आप क्वी नॉट बुक दगड मा रखदां ?
अतुल गुसाईँ- मि पेन और डायरी हमेशा दगड मा ही रखदु और राती सिरणा तैल, अर जब भी  क्वी विषय दिमाग मा ऐ जांद झट वे लेखी देंदु.
भीष्म कुकरेती:. माना की कैबरी आप का दिमाग मा क्वी खास विचार ऐ जवान अर वै बगत आप उन विचारूं तैं लेखी नि सकद्वां त आप पर क्या बितदी ? अर फिर क्या करदा ?
अतुल गुसाईँ- इन अक्सर खौला मेला, ब्यो बराती मा कथगी बार ह्वे जाँद, अर जब मेरा मन मा क्वी खास विचार आंदिन त मि सोचदू घौर जै की लेखी द्योलु, घारम याद ऐ गे त ठीक च, नि आयी त थोड़ा दुख जरुर होंद.
 भीष्म कुकरेती:. आप अपण कविता तैं कथगा दें रिवाइज करदां ?
अतुल गुसाईँ- या मेरी सबसे बडी कमजोरी च कि मि दोबारा कम ही देखदु पर अग्वाडी जरुर ध्यान देलू .
 भीष्म कुकरेती:.. क्या कबि आपन कविता वर्कशॉप क बारा मा बि स्वाच? नई छिंवाळ तैं गढवाळी कविता गढ़णो को प्रासिक्ष्ण बारा मा क्या हूण चएंद /आपन कविता गढ़णो बान क्वी औपचारिक (formal ) प्रशिक्षण ल़े च ?
अतुल गुसाईँ-मिन  कविता गढ़णो बान क्वी औपचारिक प्रशिक्षण नि ले यूँ अपना आप आयी गैन अर कविता गढ़णो वास्ता कैथै प्रशिक्षण लेणा कि जरुरत भी नि होंद शायद, या त कुदरत की देन च जु कै कई फर दैण च.  कविता वर्कशॉप क बारा मा मिन कभी सोची त नी च पर  कविता वर्कशॉप जरुर होण चैद.
भीष्म कुकरेती:. हिंदी साहित्यिक आलोचना से आप की कवितौं या कवित्व पर क्या प्रभौ च . क्वी उदहारण ?
अतुल गुसाईँ- हिंदी  साहित्य भी मि पढ़दु छौ  पर हिंदी साहित्य कु मेरा कवित्व जीवन पर क्वी खास प्रभौ नी च.
भीष्म कुकरेती:. आप का कवित्व जीवन मा रचनात्मक सूखो बि आई होलो त वै रचनात्मक सूखो तैं ख़तम करणों आपन क्या कौर ? (Here the poet took Sukho as happiness and not DRY days in the life of poet when he can’t create poetry)
अतुल गुसाईँ- मेरा कवित्व जीवन मा जब भी रचनात्मक सूख आंद त मि अधिक्तर समय अपणा परिवार दगडी बितांदु.
 भीष्म कुकरेती:.कविता घड़याण मा, गंठयाण मा , रिवाइज करण मा इकुलास की जरुरत आप तैं कथगा हूंद ?
अतुल गुसाईँ-जब भी मेरु दिल कविता लेखणा कु करदु त मि नि चांदु कि क्वी मी थै परेशान नी  कौर इन टैम फर अगर गलती से कैकु फोन भी ऐ गे त मी थै वे फर भी गुस्सा आंद.
भीष्म कुकरेती:. इकुलास मा जाण या इकुलासी मनोगति से आपक पारिवारिक जीवन या सामाजिक जीवन पर क्या फ़रक पोडद ?
अतुल गुसाईँ- मेरु परिवार हमेशा मी थै सहयोग करदू अर समाज दगडी मी तालमेल बने की चलदु.
भीष्म कुकरेती:. कबि इन हूंद आप एक कविता क बान क्वी पंगती लिख्दां पं फिर वो पंगती वीं कविता मा प्रयोग नि करदा त फिर वूं पंगत्यूं क्या कर्द्वां ? .
अतुल गुसाईँ-वीं पंगती मी अलग सी डायरी मा लेखी देंदू अर वीं पंगतीन और एक नयी कविता बनी जांदी.  
भीष्म कुकरेती:.जब कबि आप सीण इ वाळ हवेल्या या सियाँ रैल्या अर चट चटाक से क्वी कविता लैन/विषय आदि मन मा ऐ जाओ त क्या करदवां ?
अतुल गुसाईँ- जन कि मिन मत्थी भी लेखी छौ कि मेरा सिरणा मूडी हमेशा पेन अर डायरी रैंद अर जब भी इनाना होंद त मि  चट चटाक वे लेखी देंदू.
भीष्म कुकरेती:. आप को को शब्दकोश अपण दगड रख्दां ?
अतुल गुसाईँ-ना जी इन क्वी शब्दकोश त नीच हालफिलाल.
भीष्म कुकरेती:.  हिंदी आलोचना तैं क्या बराबर बांचणा रौंदवां ?
अतुल गुसाईँ- जी हाँ , यु भी बहुत जरुरि च.
भीष्म कुकरेती:. गढवाळी समालोचना से बि आपको कवित्व पर फ़रक पोडद ?
अतुल गुसाईँ- जी पोडद च, बौत कुछ  सिखणा कु भी मिलदु अर प्रेरणा मिलदी.
भीष्म कुकरेती:.  भारत मा गैर हिंदी भाषाओं वर्तमान काव्य की जानकारी बान आप क्या करदवां ? या, आप यां से बेफिक्र रौंदवां
अतुल गुसाईँ- इंटरनेट कु उपयोग करदु.
भीष्म कुकरेती:.  अंग्रेजी मा वर्तमान काव्य की जानकारी बान क्या करदवां आप?
अतुल गुसाईँ-इंटरनेट कु उपयोग करदु
भीष्म कुकरेती:.  भैर देसूं गैर अंगरेजी क वर्तमान साहित्य की जानकारी क बान क्या करदवां ?
अतुल गुसाईँ- गुरु जी इथगा ज्यादा भी नि पढ़दू मी .
भीष्म कुकरेती:.  आपन बचपन मा को को वाद्य यंत्र बजैन ?
वाद्य यंत्र त नि बजैन पर तेल कु कनस्तर बजै छैच अर वेका बाद ढोलक
बजै छौ होली मा .

Tuesday, September 6, 2016

ब्याळी अख़बार मा पौढ़ी....

आदरणीय
अजब गजब मुख्यमंत्री
हरीश रावत जी
उत्तराखण्ड सरकार।
रावत जी मिन ब्याळी अख़बार मा पौढ़ी की आप चुनो से पैली डांगरियों (पस्वा)जौ फर देवता नाचदु ऊ थै पेंसन देण चाणा छा बौत अच्छी बात च अर मी भारी खुसी ह्वे।
रावत जी मि आप थै बताण चाणु छौ की मी फर भी ब्याळी रात बटी राजीव गाँधी भूत नाचणु च अर मी राष्ट्रिय लेबल कु डांगरि(पस्वा) ह्वे ग्यों, एका आधार पर मी सबसे ज्यादा पेंसन मिलण चैंद, अब क्या बताण रावत जी कभी कभार त मी फर केदार बाबा भी भौ धै री देंदिन अर जब भी खयाँ पियां माँ राँदु तबारी मी फर साकछात डेनिस नचण बैठी जांदू। कुल मिले की बात या च की मी फर देवता, राष्ट्रिय भूत अर दारू भी नचदु । युं तीनों आधार पर मेरी पेंसन कम से कम 10 हजार होण चैंद निथर सोची लियां नेवतों कु दोष जब लगलु तब लगलु पर नरों कु दोष बौत जल्दी लगण ओळ च।
अर दूसरी बात अगर मी थै पेंसन नि मिली त मिन तुम फर केस ठोकी देण आखिर तुम मा क्या सपूत च कि मी फर राजीव गाँधी नि नाचनु, क्या सपुत च की मी फर केदार बाबा नि नाचदु, अर क्या सपूत च की मी फर डेनिस नि जलकदु । मी फर यु तिनी नाचदिन मि सपूत देणा कु तैयार छौं।
तुम गस त गडा जागरी बुला मी नचणु कु तैयार छौं।
आखरी मा सिर्फ इथगा लिखण चाणु छौ या सिर्फ एक साजिस च हमरा देवी देवतों थै भ्रष्ट करणा की आज तक जख हमरा देवी देवता अपणा श्रद्धा भक्ती से कै नर फर भौ (अवतार) धरदा छा भोल 1000 रुपयों का बना एक ही देवता का 10 डांगर पैदा ह्वे जाला । कैका कपाळ फर लिख्युं त छौ नी च की यूँ देवी कु डांगर च, यु हित कु डांगर च, यूँ रमोला कु डांगर च, यूँ नरसिंग कु डांगर च, अब एक देवता का 10 डांगर पैदा होला तुम कै कै की पेंसन लगेला। पेंसन त छोड़ों हमन कै फर विस्वास करण । अच्छु होलु की वोट का खातिर देवी देवताओ फर छेड़ खानी न हो।

धन्यवाद
आपकु राष्ट्रिय डांगरि
अतुल गुसाईँ जाखी।


Thursday, August 25, 2016

मरखोला गाउँ में जो हादसा हुवा..

कुछ दिन पहले पाबौ ब्लॉक के मरखोला गाउँ में जो हादसा हुवा सुनकर शायद कोई निठुर ही हो जिसने आँसू न बहाये हो। मैं लिखना तो नहीं चाहता था लेकिन खुद को रोक भी नहीं पाया । मै हर रात सोचता हूँ वो आदमी किस मिट्टी का बना है जिसने इतना बड़ा दुःख सह लिया -
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द्वी साल पैली यूँ आंख्यूँन
ज्वान नौना की लांस देखी
आज ये बसग्याळ
नाती, नतेणा, ब्वारी
सरी कुटम्दरी माट मा
दबदा देखी।
मी खुणी ही कन
बसग्याळ आई यू,
खैरी खै-खै की
बणईं कूडीउन्द
बादळ फोड़ी गै जु।
कैन बोली कि देवभूमी मा
देवता वास करदिन!
मेरी कुड़ी त
नरसिंगा कुड़ी छै,
थौड लगदु छौ
मंडाण लगदु छौ
म्यार चौक मा,
देवी कु बार लगदु छौ
मेरी डंड्याली मा,
सरे गौं का आंद छा
दुवा, छल-बल मंगणु,
बस मी थै मंगण से पैली
अंधेरु ह्वे गे।
इन भी क्या पाप कौरी होला मिल
इन भी क्या लस-पट ह्वे होलु मी से
जु तु मेरी सरी कुटम्दरी खै गे।
खैर!
म्यार जोग मा
इन्हीं भुगतण लिख्युं रै हो
त मि भुगतणू छौ,
पर
अगर तु सच्चु छै
अर छैं छै कखी मा त
जन मी दगण ह्वे
तन कै दगण न हो।
अतुल गुसाईं जाखी (सर्वाधिकार सुरक्षित)

Tuesday, August 9, 2016

रिवाज़

रिवाज़
...............
बाटा कु बटोई
चै अज़ाण हो
या हो क्वी
अपणु खास।
यु च म्यार मुल्का रिवाज
पूछी देंदन एक च्या गिलास।
अर ये च्या का गिलास मा
रिश्तों कि च मीठास,
दुश्मनों की भी रैंदी आस
आज न त भोळ
कन नि पुछलु
एक च्या कु गिलास।
हम गढ़वलियों की
एका बिना
नि चल सकदी साँस
जैका घौर मा जा
सबसे पैली ऐ जांद
च्या कु गिलास।
अतुल गुसाईं जाखी( सर्वाधिकार सुरक्षित)

Friday, August 5, 2016

लव लैटर

जब भी म्यारु दिल उदास होन्दु
जब मी भारी दुःख होन्दु
तब मी वींकु दियूँ लव लैटर
पौढ़ी देन्दु।
अर पौढ़ी की ऊ लव लैटर
मि खित हैंसी जांदू।
लव लैटर पौढ़ी की मी
ऊ जमानु याद ऐ जांद
जब स्कूल मा...
किताबों से ज्यादा !
वींकु मी फर अर म्यार वीं फर
रौंद छौ ध्यान,
वे टैम फर वा अफ थै काजोल
समझदी छै ,
अर मी सलमान खान।
हालत यु छन वर्षो बाद
उ सलमान खान दिल्ली मा
भांडा मजाणू च ,
अर काजोल सरकरी ध्याड़ी कनी च।
निर्भगी माया निर्भगी माया
न त्वे जनै छाया, न मी जनै छाया
न त्वेन कुछ पाया न मैन कुछ पाया।
अतुल गुसाईं जाखी (सर्वधिकार सुरक्षित)

Monday, August 1, 2016

प्रेम भाई की अपणी मधुर आवाज दिनी च...

चल रामी घौर का बाद एक बार फिर प्रेम भाई खुण लिखणा कु मौका मिली अर अबरी दां मिन आप लोगों का वास्ता लेखी एक गजल जै थै प्रेम भाई की अपणी मधुर आवाज दिनी च । या गजल कृष्णा एल्बम कु दुसरु गीत होलु बस जरा इंतजार करा.......

Saturday, July 30, 2016

गौ खुशहाल त राज्य खुशहाल अर वे खुण...


गौ खुशहाल त राज्य खुशहाल अर वे खुण जरुरी च चकबंदी अर नशबंदी । चकबंदी कु इथगा बडू बिल पास हुयुं ई खुसी मा यु जाखी चुप रौ इन त नि ह्वे सकद। सबसे पैली बहुत बहुत बधाई गणेश गरीब जी थै अर उंकी टीम थै जौंकि मेहनत कु फल आज हम सब थै मिली।अब मी आपबीती सुणाण छौ एक दिन की, बौत पैली चकबंदी टीमन चकबंदी बैनर तैळ एक कवी समेलन कौरी छौ। मी थै याद च मी खुण अनूप पटवाल भुल्ला कु फोन आई छौ हैलो बल गुसाईं जी ब्वाना छा मिन बोली हाँ क्या बात च पटवाल जी ।बल भैजि भोळ कवि समेलन च अर आप थै आण पडलु अर चकबंदी पर एक कविता सुणाण पडली , मिन बोली जरूर भुला। अब उमर काफ़ी ह्वे गे कनूण (कान) भी फूटी गैन मिन चकबंदी का जगा नसबंदी सूणी दीन, अर मि निर्भगी सरी रात नसबंदी पर कविता लिखणु रौ। दूसरा दिन जब गढ़वाल भवन पौछु त वख चकबंदी फर काव्य गोष्टी हूँणी छै । मिन बोली बेटा जाखी आज त भारी बेजती हूँण वोळ च भै! मिन भि क्या कारी सटपटां मा जख जख मा नसबंदी छौ वख मा चकबंदी कौरी दिन। अर मंच संचालक भी इन जनि भीतर गौं तनी उन मी मंच मा बुले दीन बल अब मैं आमन्त्रित करता हूँ अतुल गुसाईं जाखी जी का उन का जोर दार तालियों के साथ स्वागत करो और वो सुनाने जा रहे है चकबंदी से होने वाले पलायन पर एक दर्द भरी कविता - लोगों की ताली क्या सुणिन मिन कि म्यार मुख मा झम रात पोड़ि गे पर क्या कन छौ कविता त सुणाण ही छै, कविता कुछ इन छै द्वी लाइन लेखी देंदु कुछ बेजती वे दिन ह्वे आज पूरी कै देन्दु। ............................................,.........................
मेरी श्रीमतीन बोली
अजी बल सुणा छा,
मिन बोली हाँ।
बल बच्याँ राल त
द्वी फांगा बहुत छन
हौळ त लागी गे
अब जोळ भी लगे द्योला
कै भला सी डॉक्टर मा दिखे की
चकबंदी कै द्योला।।
मिन सूणी क्वी गणेश गरीब च
चला वे मा ही जौला
अर चकबंदी की थोडा बौत जानकारी
पूछी कि औला।
भगवान सुख रखलु त
हैंका मंगसीर
चकबंदी कैरी द्योल।
बल तुमरु त क्या जाणू
हौळ लगे की तुमन देस भागी जांण
यूँ फांगों कि रेख-देख मा
सै-ससुरों की गाली त
हमन खाण........
आगे की लाइने बक्त मिलेगा तो फिर कभी सुनाऊंगा।
अतुल गुसाईं जाखी।

Friday, July 29, 2016

फिकर शब्द जु शब्द आज हरचण वटी गे...

गढ़वाळी मनखी ही न,
गढ़वाळी शब्द भी ईमानदार छन,
फिकर बिचरी त शर्मा खातिर
या फिर हम फर दया खै की,
कभी चली गे छै।
लोग त अब बिगर बाती कु
टेंसन लेणा छन।
सर्वाधिकार सुरक्षित @ अतुल गुसाईँ

Friday, July 1, 2016

दोष कै थै द्यो मी...

आज चमोली जनपद आई दैवीय आपदा में मारे गये सभी लोगो के प्रति अपनी संवेदना ब्यक्त करता हूँ।
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दोष कै थै द्यो मी
वे बादळ थै
जु हर साल तोड़ी जांद
मेरी धुरपाळ
अर बुगे ली जांद
द्वार मोर संघाड़
चिवाड़ किवाड़
मेरी चौक छपाल।
या दोष द्यो मी
वे पहाड़ थै
जु जरा बरखा मा
टुट्टी जांद
अर दबे जांद
मेरी नीमदरी छज्जा
मी दगड़ म्यारा
छोटा-छोटा बाल-बच्चा।
या दोष द्यो
वे विकास थै
जु बड़ा-बड़ा मशीन
ले की आंद
अर म्यार पहाड़
चीरी जांद।
या दोष द्यो
ऊँ देवतों थै
जौंका सारा हम यख बस्याँ छा।

सर्वाधिकार सुरक्षित @लेख. अतुल गुसाईं जाखी


Thursday, June 30, 2016

एक ही दुःख हो त...

एक ही दुःख हो
त त्वे मा बोल मी,
सिर्फ जिकुड़ी उदास हो
त त्वे मा बोल मी,
यख त आंख्यों मा
बारा मैना बसग्याळ लग्यूं
सिर्फ सौण भादो कि बात हो
त त्वे मा बोल मी।
अपणा बिरणा सब्बी रुठ्यां छन
सिर्फ नरों की बात हो
त त्वे मा बोल मी,
यख त देवता भी दोस लग्यां छन
सिर्फ भूत पुज्ये की बात हो
त त्वे मा बोल मी।
त्वे मा बोली की अगर
म्यारा दुःख कम हुंदिन
त आज सरी रात
ख़ैरि कि बात त्वे मा
लगे द्यों मी।
सर्वाधिकार सुरक्षित @लेख. अतुल गुसाईं जाखी

Wednesday, June 22, 2016

पलायन

पलायन रोको पलायन रोको
चिल्लाणा छा जु!
ब्याळी दिल्ली मा देखिन
अपणी लैन्टरदार कुड़ी
सजाणा छा उ।
कि कनक्वे रुकण पलायन
अर कनक्वे बचाण खेती!
भैजी गौ मा सारी चौकीदार
धर्यूं छौ जु,
अपणा गोरु थै उज्याड
खलाणु रै उ।
अतुल गुसाईं जाखी
(सर्वाधिकार सुरक्षित)



Monday, March 21, 2016

होली


होली मिलन

दिंनाक 20/3/16 को होली मिलन के दौरान गड़वाली संस्कृति मंच गजियाबाद.मे कवि समेलन के दौरान मंच पर कवि मित्रो के साथ..