Sunday, December 25, 2016

मनखी अब....

बणो मा
राम राज्य ए गे
मंसबाग अब
मनखी बणी गे।
शहर अब
जंगळ ह्वे गे
मनखी अब
बाग बणी गे।
एक जमनो छौ
जब बणों मा
यखुली जाण
डैर लगदी छै,
न हो कखी
बाग मिली जौ,
सारू मिल्दु छौ
दूर कखी जब
मनखी दिखेंदु छौ ।
आज अगर सुनसान बटों मा
मनखी दिखे गे त
डौरी जांदू मी।
अतुल गुसाईं जाखी (सर्वाधिकार सुरक्षित)

Monday, December 19, 2016

आरक्षण से मिलण ओळ फ़ायदा...

राठ क्षेत्र थै ओबीसी कु दर्जा देणा का वास्ता माननीय विधायक गणेश गोदियाल जी और मुख्यमंत्री आदरणीय रावत जी कु धन्यवाद ..सब खुस छन जाहिर सी बात च कि मी भी खुस होलू , उन मी आरक्षण कु विरोधी छौ मी नि चांदु की हम सब उत्तराखंडी जाती और क्षेत्र का नौ फर एक ही सगोड़ मा अलग अलग बुतेणा रौ खैर जब मिलणु च त फैदा त उठाण ही च, कलै की मि बेरोजगार छौ । और बेरोज़गार आदिमा थै क्वी फर्क नि पोड़दु आरक्षण से विकास होलु कि विनास वे थै क्वी मतलब नी च ई बात से । हाँ एक कवी का रूप मा मी दुखी जरूर छौ कलै कि कवी जरा लंबी सोचदु । अर मथि वटी मी आरक्षण कु विरोधी भी छौ म्यार हिसाब सी आरक्षणन विकास न बल्कि विनास होंद , कन क्वे होंद एक छोटी सी कविता लेखी की शायद कुछ लोगों का समझ मा ऐ जौ।
या द्वी लाइन की कविता सिर्फ आरक्षण से मिलण ओळ फ़ायदा फर एक ब्यंग च आप लोगों से निवेदन च कि राजनितिक comment नि करियां ।
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ब्याळी रात
जब मिन सूणी
कि हम सब राठी पिछणा ह्वे ग्यों
अर अब हम थै आरक्षण मिललु।
भैजी !
मि त ख़्वाबों मा चली गौं।
अर कसम से सुपनयों मा
यु बेरोज़गार गढवली कवी
आरक्षण का दम फर
अंग्रेजी कु मास्टर बणी गे।
अर एकी पैली पोस्टिंग भी
अपणा ही क्षेत्र म च।
यू गढ़वाली कवी जैकी दिल्ली मा
अपणी ही ज़िन्दगी बेकार छै
ऊ मास्टर बणियूँ च
और नौनु थै आजक्याळ
A फ़ॉर आम
C फ़ॉर कैट,
कैट मने कुकर
पढ़ाणु च ।
वेका बाद कुछ लोगों थै खबर ह्वे जांद
कि गुरुजी त निकम्मा च ।
गुरुजी की खबर लेण चैन्द।
अर ये क्षेत्र बटी ये भगाण चैद।
द्वी चार लोग स्चूल मा आंदिन
गुरूजी थै सुणादिन ।
कि गुरु जी तुम ठीक नि पढ़णा छा
हमारा नौनू कू भविष्य डूबाणा छा
A फॉर आम
B फॉर बखरो
C फॉर कैट
कैट मने कुकर बताणा छां ।
मिन बोली अजी हाँ !
वे दिन आरक्षण की खुसी मा
तुमी लोग त ढ़ोल दमोळु
बजाणा छां ।
मिन बोली मी था आरक्षण छौ
वे दिन तुम मी थै ही त बुलाणा छां ।
जु योग्य छौ ऊ कपाळ पकड़ी
जग्वाळ लग्युं च।
अर आरक्षण का बल फर क्वी
मास्टर अर क्वी डॉ हयूँ च।
बल इन होंद आरक्षण
मिन बोली ना -
मिन बोली ना मि त सिर्फ मास्टर छौ
द्वी चार आखर ही गलत पढ़ाणु छौं,
जरा तै डॉक्टर तै दिखा
जु बुखार तै हैजा बताणू च
अर उल्टी सुल्टी दवे दे की
लोगों थै ठगाणू च।
ऊ इन दवे देणू च जैन 10 साल और जीण छौं
उ एक ही साल मा ठण्डु ह्वे जाणु च।
बल इन होंद आरक्षण मीन बोली न ।
मिन बोली ना यु त डॉक्टर ही च
द्वी चार लोगों थै ही न मनू च ।
आरक्षण की त बौत लम्बी चौड़ी कथा च
आज अगर सब कुछ लेख्याली त बबाल ह्वे जाण।
अपणा ही भै-बंधो दगड़ घ्याळ ह्वे जाण।
अतुल गुसाईं जाखी (सर्वाधिकार सुरक्षित)