Thursday, March 30, 2017

क्या ब्वन तब!


मिन
अपणा बुबा जी थै पूछी
कि बाबा तुमन पौढ़ी
किलै नीच?
बाबन बोली!
ब्यटा घौर मा
खाणा कु कुछ नि छौ
बचपन कमाण मा गुजरी गै
अर  ज्वनी त्वै पढ़ाण मा।
मिन
अपणा ब्यटा थै पूछी
तु पढै किलै नि करदी बे?
बल! पापा-
स्कूल मा
मिड-डे-मील खै की
पोटगी भुरे जान्द
अर
फिर निन्द ऐ जान्द।
अतुल गुसाई जाखी (सर्वाधिकार सुरक्षित)

भानुमती पाबौ बजार अबी तक कलै नि आई?


द्वी बिसी से ज्यादा समय ह्वे गे, एका बीच कई बांद, छोरी, स्याळी ऐ के चली भी गैन कथगों कु ब्यो ह्वे गे, कथगों का बाल बच्चा ह्वे गिन अर कथगे ता रण्डे भी गैन। पर भानुमती अबी तक पाबौ बजार नि ऐ। एक बीच बड़ी कु बंडल 15 रूप्या कु ह्वे गे, कुर्ता सुलार का जगा अब लोग अपणी गर्लफ्रेड थै जींस टौप देणा छन क्वी अब गढ़वाल मण्डल बस कु इंतजार नि करणा छन अपणी बाइक मा अपणी गर्लफ्रेड थै घुमाणा छन। सब कुछ बदले गे हाॅ सिर्फ एक चीज नि बदले उ च पाबौ बजार फिर भी भानुमती अबी तक नि आई।
कुछ सबाल छन जु मी थै सुचणा कु मजबूर करदिन आखिर भानुमती कु प्रेमी भानुमती थै पाबौ बजार ही कलै बुलाणू छौ जब कि वख मा बैठणा कु कखी थीक से जगा भी नी च। पैठणी बजार भी बुलै सकदा छा चाकीसैण तरपालीसैण या फिर सीधा पौडी बुलांदा, पाबौ ही कलै वख ता झांजी भी दुनियांभरा का, दुसरो सवाल मन मा उठद की उपहार मा कुर्ता सुलार किलै अगर अंगूठी देण कु करार होन्द त शायद भानुमती ऐ भी जान्दी या भौत बड़ी गलती छै। खैर जु ह्वे सु ह्वे मि त इलै लिखणू छौ कि भोळ अगर हमरा नाती नतेणा पुछला कि दादा भानुमती पाबौ बजार किलै नि एै त हमन क्या जवाब देण।।
अतुल गुसांई जाखी

जगजीत सिंह की गजल तुम इतना जा मुस्करा रहे हो का गढ़वाली अनुवाद..

जगजीत सिंह की गजल तुम इतना जा मुस्करा रहे हो का गढ़वाली अनुवाद
तु इथगा कलै मुल-मुल हॅसणी छै
क्या खैरी च जै लुकाणी छै।।

आॅखों मा खैरी हैंस होंठो मा
क्या हाल छन अर क्या दिखाणी छै।
क्या गम च जै...

बणी जाला बिस पींदा पींदा
यु आॅसू जु तु पिन्दी जाणी छै।
क्या गम च जै...

रेखाओं कु खेल च मुकदर
कलै रेखाओं सी मार खाणी छौ।
क्या गम च जै...

अतुल गुसांई जाखी

गीत -भैजी का ब्यो मा...


भैजी का ब्यो मा पौणे नाच
मिन त करण घर्या नाच
देशी भैजी तेरू देशी नाच
यख नि चलण सोच ले आज
यख नि चलण बींगी ले आज।


ढोल्या काका जरा तचो ढोल
औवजी का जरा तचो ढोल
बारह कसणी कसके दे
ढोल दमो मा नचे दे।

मसगा भैज तेरू मसकबीन
सकगा दिदा तेरू मशकबीन
बजे दे खुद लगीं, सुणे दे खुद लगीं।
बारह मैनों का बारह रीत
बजे दे माया का गीत।
भैजी का ब्यो मा ...

रंग मयळी या मेहंदी रात
मेहन्दी लगाण मिन भी हाथ
सुण रे दिदा मेरी बात
टिकुली बिन्दुली मिल मुलाण
मिन भी अफकू ब्योली खुज्याण।
भैजी का ब्यो मा ...

गेडू दाळी कू बारी भात
लरक तरक ह्वे गे गात
बामण बोडा को जसिलो हाथ
रस्याण आई पौणे भात
रस्याण आई पौणे भात

सर्वाधिकार सुरक्षित, अतुल गुसाई जाखी