Friday, May 26, 2017

मास्टरों का हाल

सर्व शिक्षा अभियान कु बोल्ड लग्यूॅ छौ
मिन इन झाणी यख शिक्षा बंटेणी च,
भितर देखी त वख, दाळ-भात खयेणी छै।।
मिन पूछी-
क्य बात च हेडमास्टर साब,
खूब घरात खलेणी च,
कै छ्वारा नामकरण च या
फिर कै मैडम कि बरात आणी च।।
हेडमास्टर-
अरे आवा-आवा गुसाॅई जी
दाळ-भात तुम भी खावा जी,
बल लाटा या त सर्व-शिक्षा च
सरकार की तरफाॅ बटी नौनू कु भिक्षा च।।
मिन बोली-
सरकार की तरफ बटी
नौनू कु भिक्षा यु ता ठीक च,
पर टेवल मा टंगड़ा पसारी बैठण,
कखकी शिक्षा च।।
हेडमास्टर-
याॅ मा मेरू क्य कसूर च
गाॅव मेरू बहुत दूर च,
आंद-आंद थकि जान्दू
याॅले आराम सी बैठी जान्दू।।

मि अपणा हि मन मा सुचणू रौ
कभी अफ थै त कभी मत्थी औळ थै कुसणू रौ,
हे माॅ या कन च तेरी लीला!
नौनू कु भविश्य ह्वे गे ठीला।।

तु अब भी मौन बैठीं छै
बीणा पकड़ी चुपचाप खड़ी छै,
अब त तेरू ही सारू च
हर नौना कू एक ही नारू च।।

Tuesday, May 9, 2017

इन जिन्दगी त मी नि चैणी.....

जैंई जिन्दगी मा
रस, छंद, अलंकार न हो,
जैंई जिन्दगी मा
अपणी भाषा,
अपणी संस्कृति,
अपणा रीत रिवाज न हो,
पैरणा खुण जख
दुफड़की ट्वपली, काळी फतगी
गात न हो,
खाणा कु जख कोदू, झगोरू
छंच्य भात न हो,
जैंई जिन्दगी मा नचणा कू
ढोल, दमौं मसका बाज न हो
दान बुड्यों की कछड़ी मा
जख हुक्का साज न हो,
न भुलों न, कतै न
इन जिन्दगी त मी नि चैणी।।
अतुल गुसाईं जाखी (सर्वाधिकरा सुरक्षित)