Friday, October 13, 2017

उटपटांग फैशन


लोग ब्वना छन कि कलयुग लग्यू च
पर कुछ नौनियों थै देखी मी लगणू
अरे अभी त!
आदिम युग चलणू च।।
हाथों मा न चूड़ी,
खुट्यों मा न पैजी,
माथा फर न बिन्दी,
नाक मा न फुल्ली,
न गलोबन्द, न बुलाक,
न तिलहरी न सीसफूला
गात पर-
न धोती न पढगो,
न कुर्ता न पैजमी,
न साड़ी न सुलार।।
कै थै क्वी शर्म न लाज
उटपटांग फैशन कु हुयूॅ नंगू नाच,
अर नंगी ह्वे की
कथगा सभ्य ह्वे गे समाज।
पर यूॅ थै क्य पता
कि यूॅका बाना कथगै दरजी
भूखी म्वर्ना छन आज।।
अतुल गुसाई जाखी