मिन कच्ची भी पे,
मिन पक्की भी पे,
मिन देशी भी पे,
मिन विदेशी भी पे,
मिन फौजी की रम भी पे,
मिन गोरख्याणियों की छंग भी पे,
बैठि की जोगी बाबा
मिन सुल्फा भंग भी पे,
पर कसम से........
जु नशा विंकि आंख्यों मा छौ
ऊ कखी नि रै
अतुल गुसाईं जाखी (सर्वाधिकार सुरक्षित)
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