Atul Gusain jakhi
Saturday, July 22, 2017
जांदरी घुमदी छै बल कबी..
जांदरी घुमदी छै बल कबी
गंज्यळी नचदी छै बल कबी
उरख्याली हैंसदी छै बल कबी
सुप्फा साज सुणाद छौ बल कबी
छफिरो गीत लगांद छौ बल कबी
नाज दनकुदो छौ बल कबी
देखी की-
कुठार खुस छौ बल कबी।
मरखी रे!
तिन सब मारे लिन।।
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