औऊ... तेरा हाथों मा मेहंदी लगे द्यों।
कभी न छुटो जु रंग इन माया कु रंग लगे द्यों।
तु बोलदी कि मी मायादार नि छौ
आज तेरा हाथों का हर रेखा मा,
अपणु माया कु रंग जमे द्यों।।
लिपी द्यों त्वे तै माया का रंग मा,
टीपी द्यों त्वे तै अपणा अंग अंग मा।
देख आज मेरु मेहंदी कु माया कु रंग।
सात जुगूं तक रालू, तेरु मेरु संग।।
अतुल गुसाई
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