मेरा गौंऊ मा एक चौरी
चौरी मा पिपळा डाळी
आज बैठी की पिपळा डाळी तैळ
हवा खाणो दिल कनु।
क्वी भुल्ला नवोळा जांदू,
ठण्डू पाणी ले की आन्दू,
आज नवोळा पाणी
पीणा कु दिल कनु।
तैल सार बटी
हल्या बोडा आन्दू,
चौरी मा थौ विसान्दु,
आज हळय बोड़ा दगड
बीड़ी फुकणा कु दिल कनु।
कखी बटी सुबदनी बोड़ी आंदी
द्वी चार भल्ली द्वि चार खोटी सुणादी,
आज सुबदनी बोड़ी का गिच्चा की
गाळी खाणा दिल कनू।।
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