देवता नचै डौंर थाळी।
मेरा मैता की झाली माली ।।
गश भी गाडी मिन ब्याली।
जेब हुयीं खाली खाली।।
छौळ पूजी,अन्खार खाडू दियाली।
सुख चैन और भी खोयाली।।
समझ मा आई गै भुला अब।
बक्या, बमाण जगरी सब जाळी।।
अंधविश्वास मा नचणू उत्तराखंड ।
ख़त्म ह्वे गे पेंसल, जिन्दगी कु फंड।
copy, paste वाले सावधान,।
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