ज्योतिष बडू, विज्ञानं बौन च बल।
बखरी समणी छौनू सी च बल।।
अगर इन बात च काका त,
कैकी मुंडळी काटा
द्वी चार मन्त्र फूका
अर वीं मुंडळी फिर से जुड़ा।
जुडी जाली त ठीक च,
निथर फ़ोकट का मुद्दा
संसद मा नि धरा,
अर
जरा विकास की बात भी करा।।
भोळ फिर खड़ा होला प्रशन,
दुर्लभ होला तुमरा दर्शन।।
उन भी,
14 साल कु उत्तराखण्ड,
अर14 साल बटी...
बड़ा गुस्सा मा छन प्रशन?
बटों-बटों मा खड़ा छन प्रशन?
अर
खुज्याणा छन जबाब,
बडा लाचार छन प्रशन?
जबाबों से बड़ा दूर छन प्रशन?
आत्महत्या कनू मजबूर छन प्रशन?
प्रशन भी क्या छन,
द्वी चार,
कख च पाणी?
कख च बिजली?
कख च रोड?
कख च रोजगार?
अर कले छुटणा
पहाड़ का घार।
कैन देण जवाब
कुज्याणी।
अतुल गुसाईं (सर्वाधिकार सुरक्षित)12/12/2014