Sunday, March 29, 2015

सर्व शीक्षा अभियान का बोल्ड लगा था..

सर्व शीक्षा अभियान का बोल्ड लगा था।
मैंने सोचा यहाँ शीक्षा बांटी जा रही है।
अन्दर गया तो देखा
वहां दाल भात उडाई जा रही थी।
मैंने पूछा क्या बात है मास्टर साहब 
खूब घरात खलाई जा रही है,
किसी बच्चे का नामकरण है या
किसी मैडम की बरात आ रही है।
बल
आवा आवा गुसाईं जी
दाल भात तुम भी खावा जी ।
यही तो सर्व शीक्षा है
सरकार की तरफ से बच्चों के लिए भिक्क्षा है।
मैंने कहा ये तो ठीक है लेकिन
टेबल में पाउ पसार के बैठना
कहाँ की शिछा है।
मैं अपने ही मन में सोच रहा था
कभी खुद को तो कभी खुदा को कोस रहा था।
ये माँ ये कैसी है तेरी लीला
सब का भविष्य हो गया ढीला
तू अब भी मौन पड़ी है
बीणा ले के चुप चाप खड़ी है।
अतुल गुसाईं जाखी (सर्वाधिकार सुरक्षित)

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