Thursday, October 8, 2015

राहू रैंद राठ मेरा माट मा

“राहू रैंद राठ मेरा माट मा” वेसे तो ये मेरी काफी पुरानी रचना है जिसे आप लोगों का काफी प्यार मिला खास कर मेरे राठी भाईयों का और मिलता भी क्यूँ नहीं, क्यूँ कि पूरे उत्तर भारत में राहू का सिर्फ एक मात्र मंदिर जो कि मेरे राठ में है, इसी की छत्र छाया में हम रहते है और राहू के नाम से ही हम लोगों को राठी माना जाता है, और राठी कह कर बुलाया जाता है. इस कविता को लिखने का मेरा प्रयास सिर्फ राहू मँदिर का प्रचार प्रसार करना था और इस बार मेरा साथ दिया मेरे छोटे भाई पंकज नौडियाल ने जिन्होंने मेरी इस कविता को अपनी आवाज देकर लोगों तक पहुंचाने काम किया है. मैं धन्यबाद अदा करना चाहूँगा पंकज भाई का और साथ में उन भाईयों का जो राहू देव को मानते है—गीत का आंनद ले राहू रैंद राठ मेरा माट मा ......
धन्यबाद!!
अतुल गुसाईं
https://www.youtube.com/watch?v=RgH6jhWuUMc&feature=youtu.be

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