Thursday, August 25, 2016

मरखोला गाउँ में जो हादसा हुवा..

कुछ दिन पहले पाबौ ब्लॉक के मरखोला गाउँ में जो हादसा हुवा सुनकर शायद कोई निठुर ही हो जिसने आँसू न बहाये हो। मैं लिखना तो नहीं चाहता था लेकिन खुद को रोक भी नहीं पाया । मै हर रात सोचता हूँ वो आदमी किस मिट्टी का बना है जिसने इतना बड़ा दुःख सह लिया -
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द्वी साल पैली यूँ आंख्यूँन
ज्वान नौना की लांस देखी
आज ये बसग्याळ
नाती, नतेणा, ब्वारी
सरी कुटम्दरी माट मा
दबदा देखी।
मी खुणी ही कन
बसग्याळ आई यू,
खैरी खै-खै की
बणईं कूडीउन्द
बादळ फोड़ी गै जु।
कैन बोली कि देवभूमी मा
देवता वास करदिन!
मेरी कुड़ी त
नरसिंगा कुड़ी छै,
थौड लगदु छौ
मंडाण लगदु छौ
म्यार चौक मा,
देवी कु बार लगदु छौ
मेरी डंड्याली मा,
सरे गौं का आंद छा
दुवा, छल-बल मंगणु,
बस मी थै मंगण से पैली
अंधेरु ह्वे गे।
इन भी क्या पाप कौरी होला मिल
इन भी क्या लस-पट ह्वे होलु मी से
जु तु मेरी सरी कुटम्दरी खै गे।
खैर!
म्यार जोग मा
इन्हीं भुगतण लिख्युं रै हो
त मि भुगतणू छौ,
पर
अगर तु सच्चु छै
अर छैं छै कखी मा त
जन मी दगण ह्वे
तन कै दगण न हो।
अतुल गुसाईं जाखी (सर्वाधिकार सुरक्षित)

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