Sunday, December 25, 2016

मनखी अब....

बणो मा
राम राज्य ए गे
मंसबाग अब
मनखी बणी गे।
शहर अब
जंगळ ह्वे गे
मनखी अब
बाग बणी गे।
एक जमनो छौ
जब बणों मा
यखुली जाण
डैर लगदी छै,
न हो कखी
बाग मिली जौ,
सारू मिल्दु छौ
दूर कखी जब
मनखी दिखेंदु छौ ।
आज अगर सुनसान बटों मा
मनखी दिखे गे त
डौरी जांदू मी।
अतुल गुसाईं जाखी (सर्वाधिकार सुरक्षित)

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