Friday, July 21, 2017

पहाड़ बटी मनखी.....

वे दिन जै दिन उ
वे दिन जै दिन उ
मी थै छोड़ी कि गै
कुड़ी देखदी रै
पंदेरू रूणू रै
बाटन बाड़ नि कैै
सुचणू रै पहाड!़
पहाड़ बटी मनखी
झणि कलै गै।


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