Thursday, June 19, 2014

हे भुल्ला तु घौर जाणी छै त

हे भुल्ला तु घौर जाणी छै त,
हे भुल्ला तु गढ़वाल जाणी छै त,
द्वी मेली चाणों की एक मिठे कु डब्बा
मेरा घौर भी पौंछे दे।
मिली जाली मेरी ब्वे त्वे रस्ता मा
छुणख्याळी दथुड़ी होली हाथो मा
मुंड मा मुन्यसु अर
कुछ्ली गात होली।
जाणी होली सारी घासु बटी
ज्वा ब्याखुनी धौं
सबसी रात होली ।
हाँ भुला वा मेरी माँ होली
पछ्याण जाण तिन
पौछे दे मेरु मीठे कु डब्बा
अर द्वी बीज चाणों का।
पुछली त बोली दे
राजी खुसी च
अगला मैना घार आलू।।
त्वे खुण धोती अर
बाबा कु फंची ल्यालु।।
अतुल गुसाईं (जाखी)


(सर्वाधिकार सुरक्

No comments:

Post a Comment