Sunday, November 23, 2014

पधान बोड़ा दगड द्वी चार छुईं गप्पी हौळ बुते का टैम फर.....

औ...बैठ हुक्का पे जा रे पदान बोड़ा,
भोळ बटी बुते भी च रे पदान बोड़ा।।
हौळ तैल सारी च, बिजनू ले के पौछी जै रे
पदान बोड़ा।
म्वाळा म्यार काकर धरियां छन,
निसडू छपला ढापिर पुड्यां छन रे
पदान बोड़ा।
मेरी ब्वे मैता जई परसी बटी,
कल्यारा खुण बमणी बौ कु
बोली दे रे पदान बोड़ा।
तै बसुळा भी पळै दे
छपला ख्वींडा हुयां छन रे
पदान बोड़ा।
बल्द भी त्यार मरगुल्या छन,
द्वी चार सिटगी भी खुजे दे रे
पदान बोड़ा।
हूणू त कुछ नी च पुंगडा डोखरु मा,
बांदर चपत कैई जाणां छन,
पर
बांजा भी कन क्वे छुणिन रे
पदान बोड़ा।
अतुल गुसाईं (सर्वाधिकार सुरक्षित)

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