Thursday, November 6, 2014

बेरोजगार मुसो सी ....

कविता पढने से पहले इस छोटे से लेख को जरुर पढ़े। बेरोजगार मुसो सी ....मूसो गढ़वाली में चुहे के लिए बोलते है। 
एक दिन की बात है मैं सो रखा था एक चूहा बहुत देर से परेशान कर रहा था ,उस से तंग आ के मैं उसे मारने के लिए मैंने चूहादानी (पिंजरा) लगा दी और बेचारा फंस गया। लेकिन जब मैं उसे मारने वाला था तो उसे देख के मुझे लगा इसे क्या फायदा ये भी तो अपना पेट भरने के लिए मेरी तरहा भटक रहा है ...प्रस्तुत रचना इसी पे आधारित है.....

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