Thursday, February 26, 2015

मोदी जी हम वे पहाड़ा का छाँ


मोदी जी हम वे पहाड़ा का छाँ
जख रेल नि चलदी,
बड़ी मुसकिल से त यख गाड़ी मिलदी,
हमरी समस्या आप तै ध्यान मा रखण चैन्द,
हम तै यांका बदला अलग से बजट मिलण चैन्द।
आप नयाँ छाँ मी पता च,
पैला बजट मा पहाड़ों मा रेल नि आई सकद,
पर हमरा घोड़ा-खचरों कु चारा मिली त सकद।
अब आप तै एक अलग से बिल बणाण पड़लू,
या फिर रेल बजट मा  हमुकू अलग बिराण पड़लू।
आखिर हम भी त ये देश का नागरिक छाँ,
बैठ्यां तुमरा ही अच्छा दिनों का सारा छा।
ब्याली ये पहाड़ तै तुमरो बजट पसंद नि आई,
कले कि ये ये पहाड़ हाथ कुछ भी नि आई।
खैर यू पहाड़ त हमेशा ही आंसू बगोंद आई,
ब्याली भी बिचरों दिन भर रुणू राई।
अतुल गुसाईं जाखी (सर्वाधिकार सुरक्षित)

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