Saturday, July 30, 2016

गौ खुशहाल त राज्य खुशहाल अर वे खुण...


गौ खुशहाल त राज्य खुशहाल अर वे खुण जरुरी च चकबंदी अर नशबंदी । चकबंदी कु इथगा बडू बिल पास हुयुं ई खुसी मा यु जाखी चुप रौ इन त नि ह्वे सकद। सबसे पैली बहुत बहुत बधाई गणेश गरीब जी थै अर उंकी टीम थै जौंकि मेहनत कु फल आज हम सब थै मिली।अब मी आपबीती सुणाण छौ एक दिन की, बौत पैली चकबंदी टीमन चकबंदी बैनर तैळ एक कवी समेलन कौरी छौ। मी थै याद च मी खुण अनूप पटवाल भुल्ला कु फोन आई छौ हैलो बल गुसाईं जी ब्वाना छा मिन बोली हाँ क्या बात च पटवाल जी ।बल भैजि भोळ कवि समेलन च अर आप थै आण पडलु अर चकबंदी पर एक कविता सुणाण पडली , मिन बोली जरूर भुला। अब उमर काफ़ी ह्वे गे कनूण (कान) भी फूटी गैन मिन चकबंदी का जगा नसबंदी सूणी दीन, अर मि निर्भगी सरी रात नसबंदी पर कविता लिखणु रौ। दूसरा दिन जब गढ़वाल भवन पौछु त वख चकबंदी फर काव्य गोष्टी हूँणी छै । मिन बोली बेटा जाखी आज त भारी बेजती हूँण वोळ च भै! मिन भि क्या कारी सटपटां मा जख जख मा नसबंदी छौ वख मा चकबंदी कौरी दिन। अर मंच संचालक भी इन जनि भीतर गौं तनी उन मी मंच मा बुले दीन बल अब मैं आमन्त्रित करता हूँ अतुल गुसाईं जाखी जी का उन का जोर दार तालियों के साथ स्वागत करो और वो सुनाने जा रहे है चकबंदी से होने वाले पलायन पर एक दर्द भरी कविता - लोगों की ताली क्या सुणिन मिन कि म्यार मुख मा झम रात पोड़ि गे पर क्या कन छौ कविता त सुणाण ही छै, कविता कुछ इन छै द्वी लाइन लेखी देंदु कुछ बेजती वे दिन ह्वे आज पूरी कै देन्दु। ............................................,.........................
मेरी श्रीमतीन बोली
अजी बल सुणा छा,
मिन बोली हाँ।
बल बच्याँ राल त
द्वी फांगा बहुत छन
हौळ त लागी गे
अब जोळ भी लगे द्योला
कै भला सी डॉक्टर मा दिखे की
चकबंदी कै द्योला।।
मिन सूणी क्वी गणेश गरीब च
चला वे मा ही जौला
अर चकबंदी की थोडा बौत जानकारी
पूछी कि औला।
भगवान सुख रखलु त
हैंका मंगसीर
चकबंदी कैरी द्योल।
बल तुमरु त क्या जाणू
हौळ लगे की तुमन देस भागी जांण
यूँ फांगों कि रेख-देख मा
सै-ससुरों की गाली त
हमन खाण........
आगे की लाइने बक्त मिलेगा तो फिर कभी सुनाऊंगा।
अतुल गुसाईं जाखी।

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