Thursday, March 30, 2017

जगजीत सिंह की गजल तुम इतना जा मुस्करा रहे हो का गढ़वाली अनुवाद..

जगजीत सिंह की गजल तुम इतना जा मुस्करा रहे हो का गढ़वाली अनुवाद
तु इथगा कलै मुल-मुल हॅसणी छै
क्या खैरी च जै लुकाणी छै।।

आॅखों मा खैरी हैंस होंठो मा
क्या हाल छन अर क्या दिखाणी छै।
क्या गम च जै...

बणी जाला बिस पींदा पींदा
यु आॅसू जु तु पिन्दी जाणी छै।
क्या गम च जै...

रेखाओं कु खेल च मुकदर
कलै रेखाओं सी मार खाणी छौ।
क्या गम च जै...

अतुल गुसांई जाखी

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