Thursday, March 30, 2017

भानुमती पाबौ बजार अबी तक कलै नि आई?


द्वी बिसी से ज्यादा समय ह्वे गे, एका बीच कई बांद, छोरी, स्याळी ऐ के चली भी गैन कथगों कु ब्यो ह्वे गे, कथगों का बाल बच्चा ह्वे गिन अर कथगे ता रण्डे भी गैन। पर भानुमती अबी तक पाबौ बजार नि ऐ। एक बीच बड़ी कु बंडल 15 रूप्या कु ह्वे गे, कुर्ता सुलार का जगा अब लोग अपणी गर्लफ्रेड थै जींस टौप देणा छन क्वी अब गढ़वाल मण्डल बस कु इंतजार नि करणा छन अपणी बाइक मा अपणी गर्लफ्रेड थै घुमाणा छन। सब कुछ बदले गे हाॅ सिर्फ एक चीज नि बदले उ च पाबौ बजार फिर भी भानुमती अबी तक नि आई।
कुछ सबाल छन जु मी थै सुचणा कु मजबूर करदिन आखिर भानुमती कु प्रेमी भानुमती थै पाबौ बजार ही कलै बुलाणू छौ जब कि वख मा बैठणा कु कखी थीक से जगा भी नी च। पैठणी बजार भी बुलै सकदा छा चाकीसैण तरपालीसैण या फिर सीधा पौडी बुलांदा, पाबौ ही कलै वख ता झांजी भी दुनियांभरा का, दुसरो सवाल मन मा उठद की उपहार मा कुर्ता सुलार किलै अगर अंगूठी देण कु करार होन्द त शायद भानुमती ऐ भी जान्दी या भौत बड़ी गलती छै। खैर जु ह्वे सु ह्वे मि त इलै लिखणू छौ कि भोळ अगर हमरा नाती नतेणा पुछला कि दादा भानुमती पाबौ बजार किलै नि एै त हमन क्या जवाब देण।।
अतुल गुसांई जाखी

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