Wednesday, May 21, 2014

टेहरी का वैरी

धुनारों कु गौऊ छौ टीरी
धुनारों कु बसयूं छौ टीरी,
घी दूधकी खान अर

स्वर्ग समान छै टीरी।

सबी येका बैरी रैनी।
टीरी तै मिटे की गैनी।।

पैली दुशमन धरती रै,
1803 मा पूरी टीरी हिले दे,
इन भून्चन आई.........
कि मीलों दूर सालों तक
ह्यूंचल डौरी कू कंपणू रै।

गौऊ का गौऊ बांजा ह्वीन
रुणा कू क्वी नि रैन।
खाप ताणी धरती हंसणी रै
धुनारों कु क्वी नि रैइ।।

या धरती की पहली मार छै,
स्वर्ग जन टीरी पर सबौ कि खार छै।
एक बार फिर टिरी पनपी की आई,
सुदर्शन शाहन टीरी राजधानी बाणाई।।

दूसरी मार गोरखो की रै...
टीरी फर आक्रमण कै
एक एक करी सभी मरेनी,
गोरखा अगने बीढदी गैनि।

गढ़वाल गोरखो कु गुलाम ह्वे
गोरखोन अपणी मनमानी कै,
प्रघ्घुम्न शाह न तब आवाज उठे,
गोरखोंन ऊकी आवाज मिटे।।

प्रघ्घुम्न शाह देरादूण मा मारे गैन।
सुदर्शन शाह न तब अंग्रेजों दगण
मिलीके गोरखा भगेन।

1814 और नालापाणी कि छै बात
गोरखों कु आई काळी रात,
सुदर्शन शाहन चक्रव्यू रचाई,
गढ़वाल वटी गोरखा भगाई।।

तीसरी मार राजवो की छै,
पूरी टीरी लूटी की खैई,
श्री देवसुमन जी न राजशाही कू विरोध कै
पर जान का सिवा हाथ कुछ नि आई।

आखरी मार पाणी की रै,
जैन पूरी टीरी डुबे दे।
टीरी त डुबी,
दगड मा इतिहास भी गै,
टीरी डुबाण ओळो तै
जरा भी दया नि ऐ।।

टीरी हमेशा कष्टों मा रै,
देवता पुकारी क्वी नि ऐ।
सबी लोगों अपणी जान लगे,
आखिर मा पाणिन
टीरी डुबे के अपणी तीस बुझे।
अतुल जाखी(सर्वाधिकार सुरक्षित)


1 comment:

  1. hello sir
    really u r a awsm write
    nd also gud job for our culture
    may god bless uu

    nd i want talk to u
    it is possble

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