Monday, May 26, 2014

याद आणा छन बचपन का दिन

याद आणा छन बचपन का दिन।
आज याद आणा छन बचपन का दिन।।
बचपन का दागड्या,दगड्यों का झागडा,
झगडूं का ऊ दिन...
आज याद आणा छन बचपन का दिन।।

दिन दोफरा मा खेलणू कु जाण
ब्याखुनी कु बासी खाणु,
कांच की गोळी, माचिस का पत्ता
गुडिया कु खेल
ढुन्गा की गाड़ी, डब्बा की रेल,
कख गिन ऊ दिन
आज याद आणा छन
बचपन का दिन।।
बरसात मा नंगी नयाणा
फिर माँ की मार खाण,
ऊ माँ कु बुथाण,
नि बिसरी सकदु मी
बचपन का दिन कन क्वे भुलाण।
ऊ दादी की कथा,कथों मा डौर
डौरी कु माँ का कुछिली मा सेण,
नि बिसरी सकदु मी
बचपन का दिन कन क्वे भूलोंण।
दिन मा दादा कु समझाण
राती कखडी चुना कु जाण,
बाबा कु पढाण, ऊ झूटी नींद आण,
दीदी की गाळी, पर फिर समझाण,
याद आणा छन कन क्वे भुलाण।
याद आणी च कथा ओली माई
कख हरची होलू
बचपन कु अतुल गुसाईं।
(सर्वाधिकार सुरक्षित)
अतुल गुसाईं(जाखी)


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