Monday, May 12, 2014

खूब च रे..........

नर मंगणू कुकड़ी
रिस्वत मा, देवतों चैणी बखरी,
बिन रिस्वत कु डौर नि बजदु,
दारू मंगदु जागरी। खूब च रे.......... देसी बिकदी घर घरों मा, कच्ची बणेणी छनी, रिस्वत देकी अमीरों कु नौकरी, गरीब रैगी तनी।। खूब च रे.......... हाथ जोड़ी ठगे गिन, अब विधानसभा मा छन वो, बिजली पाणी रोड़ चबे गिन, अब डंकार लेणा छन वो। खूब च रे.......... प्रधान जी कमीशन खान्द मुन्सी सीमेंट बिकान्द, मजदूरों कु मजदूरी नी, ध्याडी ठेकेदार उड़ान्द। खूब च रे.......... सरकरी दवे डाक्टर खान्द, गरीबों फर सुई चुभान्द, मास्टर कभी स्कूल नि जांद, डिग्री पैसों मा आन्द। खूब च रे.......... कन्डोम गोळी ब्यो सी पैली, बाद मा क्वी नि खान्द, जनसँख्या वृधी रुकि जौ जु, क्वी नेता नि चान्द।। अतुल जाखी(सर्वाधिकार सुरक्षित)


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