Tuesday, April 11, 2017

कै-कै जि मनो मी।

एक तू ही नि छै
जु नाराज च मी सै
पौन नाराज  च
पंछी नाराज छन
पहाड़ नाराज च।
गौं नाराज च
गैल्या नाराज छन
गौडी-भैसी नाराज छन।
देळी नाराज च
द्यू नाराज च
देवता नाराज छन।

सगोड़ी नाराज छन
सेरा नाराज छन
सदनी सबी नाराज ही रैन
पर
सबौ से दूर रै की
कै-कै जि मनो मी।
अतुल गुसाईं जाखी सर्वाधिकार सुरक्षित

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