Wednesday, April 12, 2017

त्वे कैन सिखे कविता लिखण?

दुख ऐनी खैरी दगड़
खैर सिखे गै मी कविता लिखण
गौं बटी खुद आई बाडुळी दगड़
बाडुळी सिखे गै मी कविता लिखण।
खुद मा कभी आॅसू छुटिन अर स्याई बणिन
वा आॅसू कि स्याई सिखे गै मी कविता लिखण।
और कु सिखे गै त्वे कविता लिखण?
घस्येरियों दगड़ एक बांद देखी छै
वींकि दाथुड़ी  सिखे गै मी कविता लिखण।
कुछ दिन माया लगै गे, फिर छोडी गै दोष लगै की
वींका घौ अर दोष सिखै गिन मी कविता लिखण।
और कु सिखे गै त्वे कविता लिखण?
मेरी गरीबी सिखे गै मी कविता लिखण
शहरों कि वा भीड़ ज्वा हैंसणी छै मी फर
व भीड सिखे गै मी कविता लिखण।
खैरी का बाटों मा चलदा -चलदा
चुभदा गारा सिखे गिन मी कविता लिखण।।
अतुल गुसाईं जाखी सर्वाधिकार सुरक्षित

1 comment:

  1. शहरों कि वा भीड़ ज्वा हैंसणी छै मी फर
    व भीड सिखे गै मी कविता लिखण।
    खैरी का बाटों मा चलदा -चलदा
    चुभदा गारा सिखे गिन मी कविता लिखण।।
    ...दुनियादारी सिखा दीन्द
    बहोत सुन्दर

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